Saturday, October 4, 2008

मेरो गावं

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मिट नही सकती यादें मेरे गांव की
चमकती मिटटी मन में भर चुकी है
पीपल के पत्तो की सरसराहट अब भी गूँज रही है
मेरी दादी अभी भी उसी धूल में लिपटी
मुझे बुला रही है
कैसे भूले बातें धुप छांव की
मिट नही सकती यादें मेरे गावं की

Sunday, September 28, 2008


हम चले जायेंगे वक्त बरबाद कर के
तुम वक्त बरबाद न करना ,हो सके तो हमें याद न करना
तुम्हारी आँखों में आंसू होंगे ,शायद हम तुम्हे बहुत भाए
बहुत सी बातें जो हम नही कर सकें वो बातें याद आये
मुस्कराहट भरे दिन और न जाने क्या बातें याद आए
कौन लौटा है किसी के कितने ही रोने पे ,मत रोना
ना मेरी कोई बात करना , हो सके तो हमें याद न करना